Wednesday, January 22, 2020

अरविंद केजरीवाल के नामांकन में छह घंटे से अधिक क्यों लगे- प्रेस रिव्यू

सोमवार को चुनावी रैली में हुई देरी की वजह से अपना नामांकन दाख़िल करने में नाकाम रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोचा भी नहीं होगा कि मंगलवार को नामांकन के लिए उन्हें छह घंटे इंतज़ार करना होगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक,आम आदमी पार्टी का आरोप है कि चुनाव अधिकारी ने बीजेपी के इशारे पर ऐसा किया जबकि चुनाव अधिकारी ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया है.

एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नामांकन दाख़िल करने में आमतौर पर 30-35 मिनट लगते हैं और केजरीवाल से पहले क़तार में अन्य उम्मीदवार अपना नामांकन दाख़िल करने के लिए खड़े थे.

इस पर आम आदमी पार्टी ने दावा किया है कि केजरीवाल के आगे नामांकन दाख़िल करने वाले अधिकतर उम्मीदवारों के पास पूरे दस्तावेज़ तक नहीं थे और उन्हें जान-बूझकर क़तार में लगाया गया था.

दिल्ली में आठ फ़रवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए नामांकन दाख़िल करने की मंगलवार को आख़िरी तारीख थी.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि विरोध के बावजूद नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) वापस नहीं लिया जाएगा. दिल्ली से प्रकाशित तमाम अख़बारों में ये ख़बर प्रमुखता से छपी है.

ख़बर के मुताबिक, मंगलवार को लखनऊ में आयोजित एक रैली में अमित शाह ने कहा, "मैं लखनऊ की भूमि से डंके की चोट पर कहता हूँ कि जिसको विरोध करना है करे, सीएए वापस नहीं होने वाला है. वोट बैंक के लोभी, आँख के अंधे और कान के बहरे नेताओं को मैं कहूंगा कि आप शरणार्थियों के कैंप में जाइए और उनकी स्थिति देखिए."

उन्होंने कहा, "मेरे लाखों हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन भाई जो अपनी संपत्ति छोड़ शरणार्थी बनकर भारत आए, जिनके पास न खाना है, न घर है, वोट देने ले लिए नागरिकता नहीं है, न दवाई है न नौकरी है, इनको प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकता देकर सम्मान देने का काम किया है."

मोदी सरकार का दावा है कि नागरिकता संशोधन क़ानून किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करता है, लेकिन कांग्रेस ने इसे झूठ बताया है.

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का कहना है, "संविधान में भारत की नागरिकता के 5 प्रावधान हैं, जिनमें कहीं भी धर्म का कोई ज़िक्र नहीं है. 1955 के नागरिकता क़ानून में भी यही प्रावधान हैं."

हिंदू की ख़बर के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में माता-पिता से संबंधित सवालों को हटाने पर सरकार विचार कर सकती है.

उन्होंने कहा, "मैं नहीं जानता कि मेरे माता-पिता की जन्मतिथि क्या है, मैं वो दस्तावेज़ भूल गया जिनमें जन्मतिथि होती है."

एनपीआर में माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान की जानकारी, संबंधित दस्तावेज़ों की ज़रूरत पर मांग की जा रही है कि इससे संबंधित सवालों को हटा देना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार इस मांग पर विचार करेगी और सरकार ने ये बार-बार कहा है कि दस्तावेज़ दिखाना अनिवार्य नहीं होगा.

हालांकि इस बारे में गृह मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है.

कई राज्य सरकारों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि एनपीआर में माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान संबंधित सवाल हटा देने चाहिए क्योंकि ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इनका जवाब नहीं दे पाएंगे.

दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित एक ख़बर में दावा किया गया है कि रेल ई-टिकट बुकिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है और इसके तार 'टेरर फंडिंग' यानी चरमपंथियों को मिलने वाली आर्थिक मदद से जुड़े हैं.

ख़बर के मुताबिक रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ़) के महानिदेशक अरुण कुमार ने जानकारी दी है कि बीते लगभग पांच साल से सक्रिय इस गिरोह ने क़रीब एक हज़ार करोड़ रुपये कमाए हैं.

गिरोह का सरगना झारखंड का रहने वाला बताया गया है जिसे दस दिन पहले भुवनेश्वर से गिरफ़्तार करने का दावा किया जा रहा है.

आरपीएफ़ के महानिदेशक के मुताबिक ई-टिकट बुकिंग के लिए फर्जी आधार कार्ड और नकली पैन कार्ड की मदद ली जाती थी. उनका दावा है कि गिरोह के तार दुबई, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैले हैं.

जनता दल यूनाइटेड के महासचिव पवन वर्मा ने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन के संदर्भ में अपनी विचारधारा स्पष्ट करने के लिए कहा है.

पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को एक पत्र में लिखा, "मैं आपकी उस स्वीकारोक्ति को याद कर रहा हूं कि बीजेपी के वर्तमान नेतृत्व ने किस तरह आपका अपमान किया था. आप ख़ुद कई बार कह चुके हैं कि बीजेपी देश को ख़तरनाक स्थिति में ले जा रही है."

पवन वर्मा ने नीतीश के नाम अपना ये पत्र सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इसमें उन्होंने नीतीश कुमार को उनके ही विचार याद दिलाए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि 'बीजेपी संस्थाओं को नष्ट कर रही है.'

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जनता दल यूनाइटेड को लड़ने के लिए तीन सीटें दी हैं. गठबंधन के दायरे पर पवन वर्मा ने चिंता जताई है.

Thursday, January 9, 2020

JNU हिंसा: JNUSU, ABVP या प्रशासन, जेएनयू हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार?

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का सिर किसने फोड़ा, एबीवीपी छात्रों के हाथ किसने तोड़े, जेएनयू में लाठी डंडे कैसे आए?मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वो नक़ाबपोश कौन थे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब दिल्ली पुलिस तलाशने की कोशिश करेगी.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन दिल्ली पुलिस लगभग चार साल बाद भी ये पता नहीं लगा पाई है कि 9 फरवरी 2016 की शाम जेएनयू में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' नारे किसने लगाए.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ऐसे में 5 जनवरी की शाम खून ख़राबा करने वाले व्यक्तियों, संगठनों तक कब पहुंच पाएगी, ये वक़्त ही बताएगा.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

बीबीसी ने इस विश्वविद्यालय के छात्रों, छात्रसंघ नेताओं, शिक्षकों और सुरक्षाकर्मियों से बात करके उन बिंदुओं की पड़ताल की है जो 5 जनवरी की शाम हुई हिंसा के लिए ज़मीन तैयार करते हुए दिखते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

शाम लगभग 5 से 7 के बीच अचानक इंटरनेट पर एक तस्वीर और वीडियो वायरल होता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस वीडियो में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष के सिर से ख़ून बहता हुआ दिखता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देखते ही देखते इंटरनेट पर ये वीडियो वायरल हो जाता है और कई पूर्व छात्र, मीडियाकर्मी जेएनयू कैम्पस में दाख़िल होने लगते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

देर शाम तक जेएनयू के दो दर्जन से अधिक छात्र गंभीर चोटों के साथ एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हो जाते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद इंटरनेट पर वो वीडियो प्रसारित होने लगते हैं, जिनमें कुछ नकाबपोश हाथ में लाठियां और धारदार हथियार लिए छात्रों को मारते और भगाते हुए दिख रहे हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके बाद एक वीडियो आता है जिसमें कई नक़ाबपोश हाथों में लाठी-डंडे लिए बिना किसी रोकटोक के यूनिवर्सिटी कैम्पस से बाहर निकल हुए दिखते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर जेएनयू में बाहरी लोग कैसे आए और उन्हें अंदर लेकर कौन आया?मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सवालों के घेरे में जेएनयू प्रशासन
आमतौर पर जेएनयू कैम्पस में बाहरी लोगों का आना आसान नहीं है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

मीडियाकर्मियों तक को जेएनयू में प्रवेश करने से पहले मुख्य द्वार के पास मौजूद सुरक्षाकर्मियों के पास एंट्री करनी होती है. नाम, मोबाइल नंबर, उसका नाम जिससे मिलना होता है आदि एंट्री रजिस्टर में लिखना होता है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

यही नहीं, जिस व्यक्ति से आप मिलने गए हैं, उनकी बात मुख्य द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से करानी होती है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

सुरक्षाकर्मी पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही किसी भी व्यक्ति को जेएनयू परिसर में जाने की इजाज़त देते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ऐसे में इतनी चाकचौबंद व्यवस्था होने के बाद भी बाहरी लोग जेएनयू में कैसे घुसे...?मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जेएनयू की सिक्यूरिटी टीम इस समय भारतीय सेना के रिटायर्ड जवानों से लैस है.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

ऐसे में सेना की ट्रेनिंग वाले सुरक्षाकर्मियों के रहते हुए जेएनयू परिसर में लाठी-डंडे कैसे पहुंचे?मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जेएनयू प्रशासन ने अपनी ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इन सवालों के जवाब नहीं दिए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन जेएनयू वीसी की ओर से 5 जनवरी, 2020 को जारी इस पत्र में ये बताया गया है कि पांच जनवरी को घटी हिंसक घटना के तार बीते पांच दिनों से यूनिवर्सिटी कैम्पस में जेएनयूएसयू और एबीवीपी छात्रों के बीच जारी संघर्ष से जुड़े हुए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन सवाल उठता है कि नए साल के पहले हफ़्ते में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से जेएनयू में छात्रों के बीच हिंसक झड़पें होना शुरू हुईं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

एबीवीपी और जेएनयूएसयू के बीच हिंसा क्यों हुई?मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जेएनयू परिसर में साल के पहले हफ़्ते में जो हुआ, उसके तार सीधे-सीधे फीस वृद्धि के लिए हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़े हुए हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

साल 2019 के आख़िरी महीनों में हॉस्टल फीस वृद्धि को लेकर जेएनयूएसयू और विश्वविद्यालय प्रशासन आमने-सामने था.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जेएनयूएसयू दोनों फ़ीस बढ़ोत्तरी के ख़िलाफ़ थे.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन धीरे-धीरे दोनों गुटों में दरार आती चली गई और आख़िरकार ये दरार 5 जनवरी को हुई हिंसा के रूप में सामने आई.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

एबीवीपी के छात्र नेता मनीष जांगिड़ इसकी वजह बताते हैं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जांगिड़ कहते हैं, "हम पहले भी फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ थे और अब भी हैं. लेकिन जब तक ये विरोध प्रदर्शन फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ था तब तक हम विरोध कर रहे थे. लेकिन जब इन विरोध प्रदर्शनों में नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे मुद्दों का विरोध शामिल हो गया, शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. तब हमनें ख़ुद को इससे अलग किया."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

मनीष जांगिड़ शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार की बात करते हुए नवंबर महीने की उस घटना का ज़िक्र करते हैं जब जेएनयू की एसोसिएट डीन वंदना मिश्रा को बंधक बनाए जाने और उनके साथ हाथापाई करने की ख़बरें आई थीं.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इस घटना के बाद 100 से ज़्यादा शिक्षकों ने जेएनयूटीए से नाता तोड़ते हुए एक नया संगठन बनाया.मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

वंदना मिश्रा के साथ हुए बर्ताव पर जेएनयूएसयू से जुड़ीं छात्र नेता अपेक्षा अपना पक्ष रखते हुए बताती हैं, "28 अक्तूबर को इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन मीटिंग बुलाए जाने से पहले ही नए हॉस्टल नियमों को लेकर सर्कुलर जारी किया गया. नए नियमों को लेकर छात्रों से सुझाव मांगे गए और छात्रों ने इन नियमों का विरोध किया. इसके बाद 28 अक्तूबर को इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन की मीटिंग में छात्रों के प्रतिनिधियों को बुलाए बिना, नए नियमों को पास कर दिया जाता है."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"इसके बाद एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मींटिग में तीन सदस्यों की अनुपस्थिति में भी ये नए नियम स्वीकार कर लिए जाते हैं. इन नियमों में फीस वृद्धि एक बड़ा मुद्दा था. एबीवीपी ने शुरुआत में ये दिखाने की कोशिश की कि वे फीस वृद्धि के मुद्दे पर छात्रों के साथ हैं. क्योंकि उनका समर्थन करने वाले छात्रों ने इसकी मांग उठाई थी."मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"लेकिन जब छात्रों ने वंदना मिश्रा से ये सवाल किया कि वे छात्रों के ख़िलाफ़ जाने वाले ऐसे नियमों को पास क्यों करा रही हैं तो एबीवीपी छात्र उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं. छात्रों के साथ धक्का-मुक्की करते हैं. इस घटना के बाद जगजाहिर हो गया कि एबीवीपी जेएनयू प्रशासन के साथ मिला हुआ है" मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह