दावा: गुजरात पुलिस ने चेतावनी जारी की है कि सरेआम मोबाइल गेम PUBG खेलते पाए जाने पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी. एक और वायरल पोस्ट का दावा है कि "महाराष्ट्र हाईकोर्ट" ने इस गेम को बैन कर दिया है.
तथ्य: बीबीसी की जाँच में पता चला कि ये दावे फ़र्ज़ी हैं.
विस्तार से पढ़िएः
PUBG (PlayerUnknown's Battlegrounds) दुनिया भर में मोबाइल पर खेला जानेवाला एक पॉपुलर गेम है. भारत में भी इसके काफ़ी दीवाने हैं.
PUBG मार्च 2017 में जारी हुआ था. ये गेम एक जापानी थ्रिलर फ़िल्म 'बैटल रोयाल' से प्रभावित होकर बनाया गया जिसमें सरकार छात्रों के एक ग्रुप को जबरन मौत से लड़ने भेज देती है.
PUBG में क़रीब 100 खिलाड़ी किसी टापू पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं, हथियार खोजते हैं और एक-दूसरे को तब तक मारते रहते हैं जब तक कि उनमें से केवल एक ना बचा रह जाए.
ये दोनों फ़र्ज़ी वायरल पोस्ट मुख्यतः व्हाट्सऐप ग्रुप्स, फ़ेसबुक और ट्विटर पर भेजे जा रहे हैं.
पहले महाराष्ट्र हाईकोर्ट के इस कथित नोटिस की बात. सबसे पहले तो कोर्ट का नाम ही शक में डालता है क्योंकि महाराष्ट्र हाईकोर्ट नाम की कोई चीज़ है ही नहीं. महाराष्ट्र में हाईकोर्ट का नाम बॉम्बे हाईकोर्ट है.
नोट कहता हैः "आपको सूचित किया जाता है कि PUBG कोई ऑपरेशन नहीं करेगा और Tencent Games Corporation को क़ानूनी नोटिस भेजे गए हैं."
अंग्रेज़ी में लिखे इस पोस्ट में व्याकरण और स्पेलिंग की कई अशुद्धियाँ हैं. जैसे इसमें "magistrates" को "majestratives" लिखा गया है.
नोट एक "prejudge" के नाम से जारी किया गया है, जबकि भारत में इस नाम का कोई पद नहीं होता.
जिस अधिकारी के श्रीनिवासुलु के नाम से नोटिस जारी किया गया है उस नाम के किसी शख़्स के महाराष्ट्र की न्यायिक सेवा में काम करने का कोई सबूत नहीं है.
और अब गुजरात पुलिस के कथित नोटिस की चर्चा जो गुजराती भाषा में है. इसमें लिखा है, "अगर कोई सार्वजनिक जगहों पर PUBG खेलते पाया गया, तो उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उसका मोबाइल फ़ोन ज़ब्त कर लिया जाएगा."
इस पोस्टर के भी असल होने को लेकर संदेह है. इसमें ना तो तारीख़ लिखी है, ना इसे जारी करने वाले का नाम. इसमें भी कई अशुद्धियाँ हैं.
ऐसे फ़र्ज़ी पोस्ट ट्विटर पर भी शेयर किए जा रहे हैं. जब भागीरथसिंह वाला नाम के एक यूज़र ने इसकी सत्यता जानने के लिए गुजरात पुलिस को ट्वीट किया तो उन्हें तत्काल ये जवाब मिला:
Thursday, December 27, 2018
Monday, November 12, 2018
अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड 2020 में लड़ सकती हैं राष्ट्रपति चुनाव
भारतवंशी अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं। उनके करीबी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। वे अमेरिकी संसद में जगह बनाने वाली पहली हिंदू भी हैं।
लाॅस एंजिल्स कार्यक्रम में साथी ने किया इशारा
लॉस एंजिल्स में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर संपत शिवांगी ने तुलसी का परिचय बताते हुए उन्हें 2020 में राष्ट्रपति पद का दावेदार बताया। इस पर दर्शकों ने काफी देर तक तालियां बजाईं। हालांकि, खुद तुलसी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पर कोई बयान नहीं दिया।
माना जा रहा है कि उनकी दावेदारी पर क्रिसमस के बाद फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, स्थितियों को देखते हुए तुलसी इसके आधिकारिक ऐलान में एक साल तक का समय ले सकती हैं।
भारतीय-अमेरिकियों से समर्थन जुटा रहे करीबी
इसी बीच दावा किया गया है कि तुलसी और उनकी टीम ने पहले ही वोटर्स और दानकर्ताओं के बीच राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार के तौर पर पहुंचना शुरू कर दिया है। उनके अभियान में भारतीय-अमेरिकियों को प्रमुख तौर पर टारगेट किया जा रहा है।
तुलसी गबार्ड पहले ही भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं। भारतीय-अमेरिकियों का समूह यहूदी अमेरिकियों के बाद देश का सबसे प्रभावशाली और अमीर ग्रुप माना जाता है। इसी वजह से वे अमेरिका के 50वें राज्य हवाई से लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं।
चार बार की सांसद तुलसी भारत अमेरिका के संबंधों की बड़ी समर्थक हैं। वे फिलहाल हाउस की ताकतवर आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य हैं।
समोआ में हुआ तुलसी का जन्म
गबार्ड मूल रूप से भारत की नहीं हैं। उनका जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन (एशियाई महाद्वीप से संबंधित) हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं।
अगर गबार्ड राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करती हैं तो वे किसी बड़े राजनीतिक दल की ओर से व्हाइट हाउस के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार होंगी। साथ ही अगर वे चुनी जाती हैं तो अमेरिका की पहली महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति का तमगा भी हासिल कर सकती हैं।
भगवत गीता पर ली थी सांसद पद की शपथ
शुक्रवार को कार्यक्रम में तुलसी को राष्ट्रपति पद का दावेदार बताने वाले डॉक्टर शिवांगी खुद एक रिपब्लिकन नेता हैं। हालांकि, उन्होंने पहली बार 2012 में तुलसी के चुनाव लड़ने के लिए फंड जुटाया था। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता पर शपथ ली थी।
लाॅस एंजिल्स कार्यक्रम में साथी ने किया इशारा
लॉस एंजिल्स में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर संपत शिवांगी ने तुलसी का परिचय बताते हुए उन्हें 2020 में राष्ट्रपति पद का दावेदार बताया। इस पर दर्शकों ने काफी देर तक तालियां बजाईं। हालांकि, खुद तुलसी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पर कोई बयान नहीं दिया।
माना जा रहा है कि उनकी दावेदारी पर क्रिसमस के बाद फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, स्थितियों को देखते हुए तुलसी इसके आधिकारिक ऐलान में एक साल तक का समय ले सकती हैं।
भारतीय-अमेरिकियों से समर्थन जुटा रहे करीबी
इसी बीच दावा किया गया है कि तुलसी और उनकी टीम ने पहले ही वोटर्स और दानकर्ताओं के बीच राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार के तौर पर पहुंचना शुरू कर दिया है। उनके अभियान में भारतीय-अमेरिकियों को प्रमुख तौर पर टारगेट किया जा रहा है।
तुलसी गबार्ड पहले ही भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं। भारतीय-अमेरिकियों का समूह यहूदी अमेरिकियों के बाद देश का सबसे प्रभावशाली और अमीर ग्रुप माना जाता है। इसी वजह से वे अमेरिका के 50वें राज्य हवाई से लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं।
चार बार की सांसद तुलसी भारत अमेरिका के संबंधों की बड़ी समर्थक हैं। वे फिलहाल हाउस की ताकतवर आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य हैं।
समोआ में हुआ तुलसी का जन्म
गबार्ड मूल रूप से भारत की नहीं हैं। उनका जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन (एशियाई महाद्वीप से संबंधित) हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं।
अगर गबार्ड राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करती हैं तो वे किसी बड़े राजनीतिक दल की ओर से व्हाइट हाउस के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार होंगी। साथ ही अगर वे चुनी जाती हैं तो अमेरिका की पहली महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति का तमगा भी हासिल कर सकती हैं।
भगवत गीता पर ली थी सांसद पद की शपथ
शुक्रवार को कार्यक्रम में तुलसी को राष्ट्रपति पद का दावेदार बताने वाले डॉक्टर शिवांगी खुद एक रिपब्लिकन नेता हैं। हालांकि, उन्होंने पहली बार 2012 में तुलसी के चुनाव लड़ने के लिए फंड जुटाया था। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता पर शपथ ली थी।
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